Friday, December 6, 2019

الصين أعلنت العمل على قانون يقنن تجارب تعديل الصفات الوراثية

تذكر الورقة في مقدمتها أن الهدف من التجربة هو توليد أجنة بشرية تحمل جيناً مقاوماً للفيروس ه شوهد لآخر مرة في شرفة أحد المباني السكنية في الجامعة الجنوبية للعلوم والتكنولوجيا بمدينة شنجن. وإن أفراد الشرطة كانوا يقفون في مدخل البناية، ما يرجح أنه كان قيد الإقامة الجبرية.
وذكرت الوكالة أن قوات الشرطة داهمت مختبر هيه، وصادرت الأوراق وباقي الأجنة المخصبة ضمن التجربة.
وعند محاولة التواصل مع ممثله الإعلامي، ريان فيريل، رفض التعليق على الأمر. لكنه قال إن زوجة هيه أصبحت هي من تتواصل معه وتسدد أتعابه، ما يعني أن هيه في وضع لا يسمح له بالظهور.
وبعد عدة أسابيع من آخر ظهور لهيه، أعلنت وكالة الأنباء الرسمية الصينية أن السلطات أجرت تحقيقا في التجربة، وأن هيه تصرف بشكل فردي بهدف الشهرة، دون الحصول على أي تصاريح رسمية.
كما قالت الوكالة إنه قيد المحاكمة، وسيُعاقب إذا ثبت انتهاكه القانون.
وأكدت السلطات خضوع التوأم للمتابعة الصحية، وكذلك حالة حمل جديدة كانت جزءا من التجربة، وكان يُفترض ولادة الطفل الثالث الصيف الماضي. لكن لم يُعرف مصير أي من الأطفال الثلاثة أو هيه نفسه حتى الآن.
وأعلنت الصين في مايو/ أيار الماضي عزمها على وضع قانون ينظم التجارب المتعلقة بتعديل الصفات الوراثية البشرية. واعتبرت أن أي إضرار بالأجنة أو الألمرض الإيدز، وتقول إن التجربة نجحت في تعديل جين اسمه "سي سي آر 5"، إلى "سي سي آر 5 دلتا 32". والجين الأخير موجود بالفعل لدى قلة من البشر، يولدون به فتصبح لديهم مناعة طبيعية ضد الفيروس المسبب للإيدز.
لكن البيانات التفصيلية في الورقة توضح أن التعديل الوراثي لم يستهدف الجين المعروف، إنما استهدف مجموعة من الصفات الوراثية التي يُرجح نجاحها في مقاومة الف
ادعى معدوا الدراسة أن بإمكانهم إنقاذ الملايين من المصابين بالإيدز حول العالم، هو ما اعتبره فريق "إم آي تي" تباهيا في غير موضعه. وأشاروا إلى أن هذا التعديل الوراثي قد ينجح في جعل الأفراد مقاومين للمرض بشكل مطلق، لكنه غير مجدٍ أو عملي في المناطق التي يتفشى فيها المرض، مثل النصف الجنوبي من أفريقيا.
وحاول هيه في نهاية الورقة أن يشير إلى إمكانية نجاح تجربته في علاج أمراض وراثية أخرى تصيب المواليد غير المصابين بالإيدز لأمهات مصابات به. لكن لم تقدم الدراسة أي دليل على اختبار هذه الفرضية في أي مرحلة من التجربة. أو أي مصدر يدعم هذا الرأي.

الوالدان ربما تعرضا لضغوط

لم تهدف الدراسة إلى حماية الأبناء من انتقال المرض من الأب المصاب، إذ أن هذا الإجراء قد دُبر بالفعل عن طريق فصل الحيوانات المنوية وانتقاء غير المصابة، وهو إجراء متبع وشائع.
وعُدّلت الصفات الوراثية للأجنة غير المصابة التي استُخدمت في الدراسة بعد تخصيبها. لذا، فالدراسة لا تنطوي على أي فائدة ممكنة للأبوين أو الأجنة، بل تنطوي على مخاطرة لا توازيها فائدة. ولم تشرح الورقة دوافع الأبوين من المشاركة في الدراسة أو طريقة اختيارهما والتواصل معهما.

التعديلات الوراثية في التجربة لم تكن مطابقة للتعديلات الطبيعية

تشرح الورقة طريقة إجراء التعديلات، إذ استخلص الباحثون عدداً من الخلايا من الأجنة المخصبة، وحددوا التعديلات التي يجب إجراؤها قبل تطبيقها على الأجنة بالفعل لتحويل الجين "سي سي آر 5" إلى "سي سي آرف 5 دلتا 32".
وذكرت الورقة أن الباحثين "يرجحون" أن ينجح التعديل في منع الإصابة بالمرض، لكنهم "غير واثقين" لأن التعديلات "تشبه" الجين الطبيعي، ولا تتطابق معه.
كما أن التعديلات لم تكن واحدة في الجنينين، إذ عُدل الجين بشقيه لدى إحداهما، في حين عُدّل نصفه فقط لدى الأخرى، ما يعني أن إحدى البنتين كانت ستطور مناعة جزئية.
يروس المسبب للإيدز. ولم يختبر الفريق البحثي نجاح هذه الفرضية.

Thursday, November 21, 2019

मोदी सरकार कर रही है नवरत्न कंपनी की नीलामी लेकिन सबसे बड़ी आशंका क्या?: नज़रिया

हमारे शहर लखनऊ में पुराने अमीरों के घरों में बहुत सा ऐसा सामान होता है जिसकी कद्रदान अच्छी क़ीमत लगाते हैं.
जिनका घर है उनके काम का भी नहीं रह गया है और जो पैसा आएगा उससे उनका गुजारा भी चलेगा. मगर दिक्कत ये है कि वो अपना सामान लेकर बाजार भी नहीं जा सकते और खरीदार को घर भी नहीं बुला सकते क्योंकि इससे तो इज्जत ही चली जाएगी. तो होता ये है कि कोई होशियार सौदागर आकर कुछ पैसे पकड़ाता है और रात के अंधेरे में चुपचाप वो सामान घर से यूं विदा होता है कि कोई देख न ले. जाहिर है हजारों का माल कौड़ियों में जाता है और लाखों का हजारों में. हमें अपने शहर का पता है, और शहरों में भी ऐसे किस्से कम नहीं हैं.
उन्हें भी खूब पता है कि यही सामान कुछ ही दिनों में उनको मिले पैसे से कई गुना कीमत पर बिकने लगेगा. लेकिन करें तो क्या करें. इज्जत का सवाल है. लोग क्या कहेंगे, बाप दादा की विरासत बेचकर घर चला रहे हो! अंग्रेजी में भी फैमिली सिल्वर बेचने को गाली जैसा ही माना जाता है. घर भी चलाना है, इज्जत भी बचानी है, और बदकिस्मती से कमाई का कोई जरिया नहीं क्योंकि
ये सबसे बड़ी वजह है कि 28 साल बाद भी सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने पर बहस चल रही है. जिस कॉंग्रेस के राज में ये फैसला हुआ, वो भी हर बार हिस्सेदारी बेचने पर यूं सवाल उठाती है जैसे बहू के कुछ करने पर सास को धर्मपूर्वक उठाना ही होता था.
इस बार बीपीसीएल यानी भारत पेट्रोलियम में करीब 53 परसेंट, शिपिंग कॉर्पोरेशन में 67 परसेंट और कंटेनर कॉर्पोरेशन में करीब 31 परसेंट हिस्सा बेचने का फ़ैसला हुआ है. बुधवार को यानी जिस दिन फ़ैसला हुआ उस दिन के बाजार भाव पर ये हिस्सेदारी करीब चौरासी हजार करोड़ रुपए में बिकती. लेकिन अगले ही दिन इसमें करीब पांच परसेंट की गिरावट आ चुकी थी.ऐसे किस्से पहले भी कई बार हुए हैं. सरकार बेचने का इरादा जताती है और दाम गिरने लगते हैं. इसका इलाज भी है. लेकिन फिलहाल बात फैसले पर विवाद की.
बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचने के सवाल पर कॉंग्रेस के युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने सवाल उठाया है कि घाटे में दबी एयर इंडिया और बीएसएनएल जैसी कंपनियों को बेचने में नाकाम सरकार बीपीसीएल जैसी नवरत्न कंपनी को क्यों बेच रही है. इसका एक सीधा जवाब तो यही है कि बाज़ार में जिस चीज की कीमत अच्छी मिले उसे बेचना ही समझदारी है. लेकिन इसका एक जवाब और भी है.और उसके लिए बीपीसीएल के इतिहास में जाना होगा.
बीपीसीएल भारत सरकार की बनाई हुई कंपनी नहीं है. 1974 तक देश भर में जो पेट्रोल पंप दिखते थे उनपर इंडियन ऑयल, बर्मा शेल, कालटेक्स और एस्सो के बोर्ड सबसे ज़्यादा नज़र आते थे.दो और कंपनियां भी थीं असम ऑयल और इंडो बर्मा पेट्रोलियम. लेकिन इनके बोर्ड कम दिखते थे. 1974 में एक दिन एस्सो के बोर्ड बदलकर एच पी हो गए.
उसके बाद बर्मा शेल की जगह बीपीसीएल ने ले ली और कुछ ही समय में या साथ साथ कालटेक्स भी बीपीसीएल में ही विलय हो गई. ये था पेट्रोलियम कंपनियों का राष्ट्रीयकरण. उधर इंडो बर्मा पेट्रोलियम 1970 में ही इंडियन ऑयल का हिस्सा बन चुकी थी. लेकिन 1974 में इसे फिर एक अलग सरकारी कंपनी बना दिया गया.
तो अब सवाल ये है कि अगर 1974 तक पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की मार्केटिंग का काम प्राइवेट कंपनियां कर रही थीं तो आज क्यों नहीं कर सकतीं? और अगर सरकार दूसरी कंपनियों को इस धंधे में उतरने की इजाज़त दे रही है, तो आज ही अच्छे दाम मिलने पर ये कंपनी बेच देने में क्या ग़लत है? क्या चाहते हैं कि एयर इंडिया और बीएसएनएल जैसा हाल हो जाए कि जब बेचने निकलें तो ख़रीदार न मिले?
हिस्सेदारी बेचने का एक दूसरा तरीका भी है. जो आईटीडीसी के होटलों की बिक्री में आजमाया गया. सीलबंद लिफाफे वाली नीलामी. सरकार ने अलग अलग होटलों के टेंडर निकाले, सीलबंद बोलियां आईं. खोली गईं और सबसे ऊंचे दाम लगानेवाले को होटल बेच दिया गया. वाजपेयी सरकार के दौरान हुई इन बिक्रियों पर भारी विवाद खड़ा हुआ.
कहीं कौड़ियों के मोल पर बिकने का आरोप है तो कहीं खरीदार ने कुछ ही दिनों में वही होटल कई गुना दाम पर दूसरे को बेच दिया. और ये तब जबकि जानेमाने आर्थिक विशेषज्ञ और न जाने कितने घोटालों का पर्दाफाश करनेवाले मशहूर पत्रकार अरुण शौरी विनिवेश मंत्री थे. यानी ख़ास तौर पर एक मंत्रालय बना हुआ था सरकारी कंपनियां या कंपनियों की संपत्ति या कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए.
यहां दाल में कुछ काला तो ज़रूर था. भारी हंगामा हुआ और जांच बैठी. मुंबई में जुहू का सेंटॉर होटल तो अभी तक ठीक से खुल नहीं पाया है. नाम और मिल्कियकत बदलने के बाद से तरह तरह के मामलों में अटका हुआ है.
औलाद या तो है नहीं, या नालायक है.
भारत सरकार और डिसइन्वेस्टमेंट यानी सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. दिखने में आसान लगती है मगर खोलते चलो तो पर्त दर पर्त पेंच पर पेंच निकलते चलते हैं. एक सवाल का जवाब देंगे तो तीन नए सवाल खड़े होंगे. तो बात शुरू से ही शुरू करनी पड़ेगी.
1991 में जब भारत में आर्थिक सुधार हुए तब ये बात मान तो ली गई कि सरकार का काम बिजनेस करना नहीं है.लेकिन ये बात न सरकार में बैठे लोगों को ही ठीक से हजम हुई और न वो इस देश को यकीन दिला सके कि ऐसा करना ही देश के हित में है.फिर उन्हें ये समझने में भी बहुत मुश्किल हुई कि किस काम को बिजनेस माना जाए और किसे राष्ट्रहित. यानी एयर इंडिया, बीएसएनएल, एचएएल और एचपीसीएल, बीपीसीएल को प्राइवेट हाथों में कैसे दे दिया जाए?

Friday, November 1, 2019

اكتشفت إصابتها بسرطان الثدي بفضل كاميرا

اكتشفت سائحة أنها مصابة بسرطان الثدي وهي تزور معلما في إدنبره باستكلندا، بعد اطلاعها على صور التقطتها لها كاميرا حرارية.
كانت "بال جيل" مع عائلتها، في مايو/ آيار، في زيارة للمعلم السياحي المعروف باسم كاميرا أوبسكيورا، الذي يستمتع فيه السياح بعالم الحيل البصرية.
وعندما دخلت غرفة الكاميرا الحرارية لاحظت أن لون ثديها الأيسر مختلف عن لون الأيمن.
وبعد عودتها إلى بيتها زارت الطبيب، فأخبرها بأنها مصابة بسرطان الثدي.
وعلمت أن الكاميرات الحرارية يمكن استعمالها في تشخيص السرطان.
ويعمل التصوير الحراري على قياس درجة حرارة سطح الجلد في الثدي، دون إشعاعات.
وتنمو الخلايا السرطانية وتتكاثر بسرعة لأن تدفق الدم فيها أسرع، وهو ما يتسبب في ارتفاع درجة حرارة الجلد.
تقول جيل: "ونحن نصعد عرجنا على غرفة التصوير الحراري مثلما تفعل جميع العائلات. ورحنا نلوح بأيدينا وأذرعنا وننظر إلى صورها. عندها لمحت بقعة حرارة على ثديي الأيسر، فوجدت أنها غريبة ولا أحد لديه مثلها، فأخذت صورة لها وواصلنا جولتنا في المتحف".

غيرت حياتها

وبعد أيام شاهدت جيل، وهي أم لطفلين، الصورة مرة أخرى، وهي تقلب أغراضها.
وبحثت في غوغل عن معلومات بشأن سرطان الثدي والكامي
وأجرت عمليتين جراحيتين، واحدة لإستئصال الثدي. وستخضع لعملية أخرى في نوفمبر/ تشرين الثاني. وقيل لها إنها لن تحتاج إلى العلاج الكيميائي أو بالإشعاع لاحقا.
كشف كتاب لواحدة من أقرب مساعدات الملكة إليزابيث الثانية عن مجموعة من الأسرار الخاصة بالأزياء الملكية.
وووثقت أنغيلا كيلي مشاهداتها خلف الستار، خلال سنوات من العمل لدى ملكة انجلترا كصانعة ملابس وأحد أصدقائها المقربين.
ووافقت الملكة بنفسها على إصدار الكتاب، الذي يحمل عنوان "الوجه الآخر للعملة: الملكة والحائكة وخزانة الملابس" وهو إجراء غير معتاد.
يأتي في ديباجة الكتاب أن "الملكة منحت أنغيلا موافقتها لمشاركة الرابط الذي جمعها بشكل استثنائي مع العالم."
وتنشر مجلة هالو مقاطع مثيرة من الكتاب طوال هذا الأسبوع. وهنا نستعرض ما وصل إلينا منها.
وقالت: أود أن أعبر عن امتناني. فلولا الكاميرا لم أكن لأكتشف إصابتي بالمرض. أعرف أن هذه ليست وظيفة الكاميرا، لكنها كانت مصيرية بالنسبة لي".
والكاميرا الحرارية واحدة من أكثر الأقسام جذبا في
تقول كيلي، التي تولت تحضير ملابس الملكة منذ عام 2002، إن ما يقال عن وجود مساعدة لارتداء الأحذية الملكية لتوسعتها حقيقي، وإن كيلي شخصيا هي من تقوم بذلك.
وكتبت: "الوقت الخاص بالملكة محدود جدا، وليس لديها وقت لارتداء أحذيتها بغرض توسعتها. وبما ان أقدامنا لها نفس القياس، كان اختياري لهذه المهمة أمرا طبيعيا."
المعلم السياحي. فهي تسمح للسياح بمشاهدة صور مقاطع مهمة من أجسامهم.
تقول كيلي إن الملكة وافقت على المشاركة في الإعلان الترويجي لدورة الألعاب الأوليمبية في لندن خلال "خمس دقائق"، لتشارك فيه دانيل كريغ الذي قدم شخصية جيمس بوند.
وأُعجبت الملكة كثيرا بالفكرة، ووافقت على الفور. وسألتها إن كانت تحب أن تقول شيئا في النص، فردت بدون تردد "بالتأكيد يجب أن أقول شيئا ما، فهو قادم لإنقاذي على كل حال."
وتابعت: "سألتها إن كانت تحب الجملة أن تكون "مساء الخير جيمس"، أم "مساء الخير سيد بوند"، فاختارت الأخيرة لتتسق مع الجملة الشهيرة في سلسلة أفلام جيمس بوند. وخلال دقائق، أبلغت (المخرج داني بويل) بالأنباء. أعتقد أنه سقط من مقعده فرحا عندما أخبرته بأن شرط الملكة الوحيد هو قول هذه الجملة."
ظهور الملكة سنويا في سباق آسكوت الملكي للخيول من أكثر الفعاليات التي يتابعها الناس. والأمر لا يقتصر على شغف الناس بالخيول ومراقبتهم لها، إذ تنتشر المراهنات على لون قبعة الملكة.
وتقول كيلي إنه بعد علم الملكة بوجود هذا الرهان، اتفقت مع رئيس إحدى شركات المراهنات على تحديد موعد لوقف المراهنات، حتى أنها أصبحت تضع قبعات تمويهية في أنحاء القصر لتجنب تسريب اللون الحقيقي قبل يوم السباق.
وكتبت كيلي: "اجتمعت بصاحب شركة بادي باور
نفت كيلي في كتابها التقارير التي انتشرت عن أن عناق الملكة لميشيل أوباما لتحيتها عام 2009 يعتبر "تخليا" عن البروتوكول، وقالت إن ذلك عار من الصحة.
وكتبت: "في الحقيقة، كان الأمر تلقائيا من الملكة، لتظهر مشاعرها واحترامها لامرأة عظيمة أخرى، ولا يوجد بروتوكول يجب الالتزام به في هذه النقطة."
فعندما يظهر أحدهم مشاعره، أو يرشد صاحب الدعوة الملكة نحو السلم، فالأمر يتعلق بالإنسانية، وهو شيء تقدره الملكة وترحب به. وأي شخص "قريب من الملكة لا يعتبر خطرا، وبالتأكيد يمكن الوثوق به."
وكتبت ميشيل أوباما في مذكراتها أن هذه اللحظة أتت بعد يوم طويل ارتدت فيه السيدتان أحذية بكعوب طوال اليوم، ما جعل أقدامهما تتألم.
وأضافت: "كنا مجرد امرأتين متعبتين، تقمعنا أحذيتنا."
كشفت كيلي سر "قوة" الشاي الاسود للمساعدة في تنفيذ زي تعميد يحاكي الزي الملكي الأصلي، إذ استخدم الزي الجديد في تعميد جيمس، فيسكونت سيفيرن، عام 2008.
وكتبت كيلي أنه لصبغ الزي بنفس لون الزي الأصلي "استخدمنا أحد أقوى أنواع الشاي."
وتابعت: "وضعنا كل قطعة من الدانتيل في إناء صغير من المطبخ، وملأناه بماء بارد، ووضعنا كيس شاي. وتركناه لمدة خمس دقائق، وتابعناه باستمرار للتأكد من أن اللون مثالي."
(واحدة من شركات المراهنات)، واتفقنا على أن باب المراهنات على لون قبعة الملكة يجب أن يغلق في وقت محدد لتجنب الغش، لكن يسمح للناس الاستمرار في تخمين لون القبعة وربما كسب بعض المال."

تأثر كبير

قال أندرو جونسون مدير المعلم السياحي: "لم نكن نعلم أن كاميراتنا لها القدرة على كشف أمراض بهذه الخطورة. تأثرنا كثيرا عندما روت لنا جيل قصتها، لأن سرطان الثدي قد يصيب أي أحد بيننا".
وأضاف: "الرائع في القصة أن جيل انتبهت إلى الصورة وتحركت فورا. نتمنى لها الشفاء العاجل، على أمل أن نلتقيها وعائلتها مستقبلا".
وتقول الطبيبة الجراحة تريسي جيليز، من هيئة الصحة العامة في اسكتلندا، إن التصوير الحراري "تم اختباره في الماضي للكشف عن السرطان، ولكنه لم يعتمد كأداة للتشخيص".
وأضافت: "التشخيص المبكر لسرطان الثدي يجعل فرص علاجه أكبر. وعليه ننصح أي امرأة لها موعد لإجراء الفحوصات أن تلتزم بها وأي شخص لديه شكوك أن يزور الطبيب".
رات الحرارية. وبعدها شخص الطبيب إصابتها بسرطان الثدي في مراحله الأولى.

Tuesday, September 17, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

भारत सरकार ने कहा है कि कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद से सुरक्षा बलों की कार्रवाई में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई है. सरकार का कहना है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा किए गए पत्थरबाज़ी में असरार सहित दो व्यक्तियों की मौत हुई है.
सरकार के मुताबिक़, इस दौरान चरमपंथियों ने तीन और लोगों की हत्या कर दी है.
लेकिन कई लोगों का कहना है कि सरकार ने अपने 'आधिकारिक आंकड़ों' में हाल के दिनों में हुई उनके कई क़रीबी रिश्तेदारों की अप्राकृतिक मौतों को शामिल नहीं किया है.
इनमें से एक रफ़ीक़ शागू ने बीबीसी को बताया कि वह नौ अगस्त को श्रीनगर के बेमीना इलाक़े में स्थित अपने दोमंज़िला घर में अपनी पत्नी फ़हमीदा बानो के साथ चाय पी रहे थे. उसी समय पड़ोस में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष शुरू हो गया.
उन्होंने कहा कि आंसू गैस से उनका घर भर गया और फ़हमीदा का दम घुटने लगा.
उन्होंने बताया, "उसने मुझे बताया कि उसे सांस लेने में समस्या हो रही है. ऐसे में मैं उसे अस्पताल ले गया. वह मुझसे पूछने लगी 'मुझे क्या हो रहा है' और बहुत डरी हुई थी. डॉक्टरों ने बहुत प्रयास किया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका."
बानो के मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि विषाक्त गैस के संपर्क में आने के कारण उनकी मौत हुई. उनके पति अब अपनी पत्नी की मौत की जाँच की मांग को लेकर अदालत में एक याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं.
श्रीनगर के सफकदल इलाक़े में 60 साल के मोहम्मद अय्यूब ख़ान की मौत की परिस्थितियां भी बहुत हद तक बानो से मिलती जुलती हैं.
अय्यूब ख़ान के दोस्त फ़य्याज़ अहमद ख़ान ने बताया कि 17 अगस्त को वो उसे इलाक़े से गुज़र रहे थे तभी इलाक़े में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें शुरू हो गईं.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्होंने ख़ान के पांव के पास आंसू गैस के दो कैन गिरते देखे. उनके दोस्त को अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी. परिवार को अभी तक उनकी मौत की मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी गई है.
पुलिस ने बताया कि यह एक अफ़वाह है कि आंसू गैस के संपर्क में आने के कारण ख़ान की मौत हुई.
क्षेत्र में लॉकडाउन और लगातार कर्फ्यू जैसी स्थिति के बावजूद सरकार और सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की घटना हुई हैं जो अक्सर हिंसक हो गई हैं.
अस्पतालों ने हताहतों की संख्या के बारे में चुप्पी साध रखी है. घायल होने वाले कई लोग उचित चिकित्सा सेवा के लिए नहीं गए क्योंकि उन्हें आशंका थी कि प्रदर्शन में शा​मिल होने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
माना जा रहा है कि सरकार ने पहले ही कार्यकर्ताओं, स्थानीय राजनेताओं और व्यापारियों सहित हज़ारों लोगों को हिरासत में ले रखा है. इनमें से अधि​कांश को राज्य के बाहर जेलों में रखा गया है.
हालांकि, अभी यह आकलन करना मुश्किल है कि कितने लोग मारे गए हैं या घायल हुए हैं. यह साफ़ है कि कश्मीर में पूर्व में हुई हिंसा के मुक़ाबले यह बहुत छोटा है.
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने संवाददाताओें को बताया, "2008, 2010 और 2016 में हुई हिंसक वारदातों में भारी संख्या में लोगों की जान गई थी. उनकी तुलना में तो इस बार बहुत कम हिंसा हुई है."
उन्होंने कहा, "किसी भी व्यक्ति को नुक़सान पहुंचाए बिना धीरे-धीरे सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी सुरक्षा बल दिन-रात काम कर रहे हैं."
हालांकि, संचार सेवा ठप्प रहने और कठोर सैन्य के सख़्त रवैये के कारण लोगों का ग़ुस्सा पूरी तरह से सामने नहीं आ पा रहा है.
यह स्पष्ट नहीं है कि कश्मीर में लगाया गया प्रतिबंध कब पूरी तरह से हटाया जाएगा और पाबंदी हटाने के बाद क्या होगा.

Thursday, August 22, 2019

"ليلة الدخلة": نساء يتحدثن عن تجربة زواجهن الفاشلة بسبب الليلة الأولى

بالرغم من أن الزفاف يشغل حيزاً كبيراً من الاهتمام والتفكير في معظم المجتمعات، إلا أن له خصوصية أكثر في المجتمعات الشرقية.
نساء من خلفيات اجتماعية مختلفة تحدثن إلى موقع بي بي سي عربي، عن أثر الليلة الأولى على مسيرة زواجهن، وكيف انعكس غياب الثقافة الجنسية والاجتماعية على حياتهن الزوجية.
هنا نعرض تجارب خاضتها نساء من فئات عمرية مختلفة. فهل تحدّت هؤلاء النسوة "الإهانة العاطفية" في أول خطوة من رحلة الحياة الزوجية أم خضعن للمجتمع الذي لا يرى أي مشكلة في موقف الزوج؟
دخلت سمية في مواجهة طويلة مع أسرتها التي كانت ترفض زواجها من ابراهيم الذي تحبه وتدافع عنه باستماتة، لأنها كانت تظن أنه الزوج المثالي الذي تحلم به أي فتاة، وما أن تحقق حلمها، حتى فاجأتها الصدمة بأسرع مما تتوقع.
كان ذلك في أول ليلة جمعتهما، أي "ليلة الدخلة" التي اختفى فيها كل ذلك الحب بسبب شكّه "بعذريتها".
لم تستطع سمية التي تبلغ من العمر 23 عاماً، أن تنهي بضع مواد بقيت من دراستها لآداب اللغة العربية في جامعة دمشق، لأنها انشغلت بابراهيم الذي وعدها بأن يوفر لها الأجواء المناسبة لتكمل دراستها وتتخرج.
تزوجت سمية في آذار/مارس الماضي، برغم معارضة أسرتها بسبب عدم وجود مسكن خاص به أولا، وعدم تخرجها بعد. لكنها أصرت على موقفها إيماناً بحبه ودعمه لها، وتحدت الجميع قائلة بأنها مستعدة للعيش مع والدته التي كانت تحترمها كوالدتها.
وفي ليلتها، تلقت سمية الصدمة الأولى "بعد أن دخل عليها زوجها ولم يمهلها الوقت الكافي لترتاح، بل حاول فض بكارتها على وجه السرعة مبرراً ذلك بحبه الكبير لها".
تقول سمية: "كنت متساهلة ومتعاونة، تحاملت على نفسي وقبلت رغم تعبي الشديد، لكن عبارات العشق والحب اختفت فجأة ، وتبدل وجهه وملامحه في لحظات، وقال بطريقة لا تخلو من الريبة والشك: لا توجد بقع دم".
وعادة ما تواجه معظم النساء نزيفاً وإن بدرجات متفاوتة أثناء عملية فض غشاء البكارة. لكن بحسب الأطباء والمختصين، فذلك ليس شرطاً ضرورياً، ولا يحدث مع جميعهن.
وهناك أشكال وأنواع عديدة للغشاء، فبعضها لا يتمزق إلا بعمل جراحي، وبعضها رقيق جداً قد يتمزق دون ظهور أي نزيف، كما أن بعض الفتيات يولدن بدون غشاء بكارة، أو قد يتمزق في طفولتهن إثر تعرضهن لحادث ما.
وتصف سمية زوجها قائلةً: "في تلك اللحظة، كانت نظراته لي مثل خناجر غرزت في صدري، قتلني بها دون أن يدري، لم يحاول حتى التحدث إلي، وتركني مهملة كما لو كنت متهمة وانتظر محاكمتي".
وتضيف: "كنا قد ناقشنا أموراً كثيرة قبل الزواج، حتى عن ليلة الزفاف التي كانت من المفترض أن تكون أسعد ليلة لنا، خُيل إلي أننا نعرف أشياء كثيرة عن بعضنا، لكن ذهب كل ذلك في مهب الريح بعد عدم ظهور إشارة ما يسمونه بالعذرية".
,رغم تكرار مثل هذه الحوادث في مجتمعها، إلا أن سمية لم تكن تتوقع أن تواجه المشكلة نفسها، لأنها كانت تعتقد أن ذهنية الشباب تغيرت عما كانت عليها في زمن أجدادها، وأن خطيبها مثقف جامعي ومنفتح، لكنها "صُعقت باقتراحه بزيارة الطبيب في اليوم التالي من زواجهما للتأكد من عذريتها".
وتعود عادة اختبار عذرية الفتيات إلى عصور قديمة، وتتفاوت أسبابها وطرق فحصها من مجتمع لآخر، وما زالت المجتمعات المحافظة تحتفل بعذرية الفتاة في ليلة الزواج بطريقة مبالغة، كأن يتم عرض ملاءة السرير على الأقرباء من الطرفين، وأحياناً تقام طقوس معينة تأكيداً على أهميته.
وعلى الرغم من سهولة عملية إعادة رتق الغشاء بجراحة بسيطة، وتوفر الغشاء الاصطناعي الصيني الصنع منذ عقود كما في حالة الشابة روزانا، لا تزال الكثيرات منهن يواجهن نهايات مختلفة تصل إلى القتل تحت اسم "غسل العار".
عند زيارة سمية إلى الطبيبة النسائية في اليوم التالي، أكدت لهما بأن غشاءها سميك ولن يزول كلياً إلا مع أول ولادة طبيعية لها بحسب قولها.
شعر زوجها بارتياح، وعادت الابتسامة إلى وجهه، لكن بعد فوات الأوان، فقد حسمت الشابة أمرها في قرارة نفسها، وقررت أن تطلب الطلاق بأقرب وقت ممكن".
وتفسّر انتظارها لبعض الوقت في طلب الطلاق بالقول: "بات زوجي غريباً بالنسبة لي، خشيت من أن ينضم إلى ما قد يردده المجتمع حول عذريتي، لم أعد أتنبأ بما قد يفعل، كل شيء أصبح متوقعاً، فالذي ينسف سنوات معرفتنا ببعضنا البعض في لحظات، لا أمان لي منه على حياتي بعد ذلك".
وتتوقف لبرهة وتضيف: "حقيقة لا أدري تماماً كيف أصف حالتي ومشاعري تجاهه بعد تلك الليلة، لكنني لم أكن أطيق العيش معه بعد أن اختزل كل ما املك من صفات وقدرات بغشاء لا أهمية له عندي، فأنا في نهاية الأمر، إنسان وليس مجرد غشاء لحمي".
ساءت حالة سمية النفسية منذ ذلك الحين، إذ لم ترغب في استقبال أحد أو الخروج إلى أي مكان، كانت تشعر كما لو أنها تقوم بتمثيل دور الزوجة التقليدية التي لا حول لها ولا قوة إلا برضاه عنها بحسب قولها.
لم تمارس معه الجنس خلال ثلاثة أشهر إلا بضع مرات ودون رغبة منها، وتقول: "عندما كان يضاجعني، كنت أشعر بالنفور، لم أكن أرغب به، ولم أشعر بأي شيء، لأن عاطفتي كانت قد ماتت في ليلتها، كنت أنتظر أن ينهي مهمته ويتركني، كانت ممارسة الجنس معه تُشعرني بالعهر لأنها لم تكن نابعة من الحب بل من واجب مفروض علي".
وسمية ليست حالة منفردة في مجتمعها، بل هناك الكثير منهن خلف الأبواب الموصدة، ينأين بأنفسهن ويتجنبن أن يكنّ عرضة لنميمة المجتمع ولومه، إلا أن المشاكل تتفاقم اكثر وتؤثر على الأطفال والأسرة لاحقاً بسبب عدم الانفتاح في تقبل النقاش بصراحة.
وتقول الأخصائية النفسية أمل الحامد في حديث مع بي بي سي، عن الحالات النفسية للنساء في ليلة الزفاف والنصائح التي تساعد المقبلين على الزواج في عدم الوقوع في مشكلات ليست في الحسبان: "لم تجرِ عادة زيارة طبيب نفسي في مجتمعاتنا بسبب المعتقدات المسبقة الخاطئة".
وتضيف: "حضور جلسات نفسية تضمن بداية حياة سعيدة أساسها التفاهم والحوار، ويجب على الزوجين استشارة طبيب نفسي والتزود بالنصائح المفيدة والتحدث عن المشاكل التي قد تواجههم في الليلة الأولى وكيفية تجنبها وطرح الأسئلة مهما كانت خاصة، عن التقرب بينهما وعن أنواع أغشية البكارة وكيفية فضها بطريقة لا تنُفر الزوجة، وجعلها ليلة جميلة بدلاً من أن تكون مؤلمة".
وتتابع: "مع الأسف يعتقد الكثيرون أنهم يعرفون الكثير عن المرأة ونفسيتها وجسدها والليلة الأولى، إلا أن التجارب المتكررة تثبت العكس".
وفي معظم الأحيان تتفاقم المشاكل على المدى البعيد وتصبح أكثر تعقيداً بسبب تراكمها بدون علاج، لهذا، لا بد من تهيئة العروسين نفسياً للحياة الجديدة، أساسها التفاهم والثقة المتبادلة ومشاركة الأفكار" كما ترىوسألت بي بي سي 20 رجلاً، تراوحت أعمارهم بين 20 و45 ، بين متزوج وأعزب، من أكاديميين وأطباء ومعلمين وممن يرون أنفسهم منفتحين في العلاقات، عن ردود فعلهم فيما لو واجهوا الموقف ذاته ولم تظهر إشارة ما تسمى بـ "العذرية" في اللقاء الحميمي الأول، فكانت إجابات معظمهم سلبية سواء بشكل صريح أو بطريقة غير مباشرة.
وربط معظمهم ظهور بقع الدم التي يرونها كدليل على عذرية الفتاة وعفتها، وبالتالي بداية حياة سعيدة مبنية على الثقة والتفاهم.
بعد مرور بضعة أشهر، صارحت سمية زوجها بعدم رغبتها بالاستمرار معه، وأخبرته عن قرارها الذي لا رجعة منه لأنها وبحسب تعبيرها، لم تعد تؤمن على حياتها معه، كما أنه لم يعد هناك حب أو شغف به بعد تجربة الليلة الأولى، وحدثته عن شكّه بها وكيف كان "عديم الإحساس بها" في تلك الليلة، وأهانها وانتقص من كرامتها.
تقول سمية: " كان مصدوماً مما قلت لأنه يعتبر أن من حقه كرجل أن يعلم أن زوجته لم تمارس الجنس مع أحد قبله، وأنه لن يطلقني ما حييت، وعلي أن أعقل لتصرفاتي المتمردة لأن نتيجتها الندم".
وتضيف: "مجتمعنا مزدوج المعايير، فمغامرات الرجال الجنسية مقبولة بل تثير الإعجاب، أما فيما يخص المرأة، فمنبوذة وتصل عقوبتها إلى القتل، وزوجي الذي تركته، واحد من هؤلاء، يقهقه وهو يتحدث عن مغامرة جنسية سابقة بين الأصدقاء ويثور هائجاً لو أطلقت مجرد نكتة على سبيل المزاح".
تركت سمية الأراضي السورية في حزيران/يونيو الماضي متوجهة إلى أوروبا بعد أن رفض أهلها تأييد فكرة طلاقها لأنهم اعتبروا أن السبب "تافه وسخيف".

Friday, July 5, 2019

क्या ख़तरनाक है आपके लिए आधार कार्ड?

शेख मोहम्मद ने अभी तक राजकुमारी हया के दुबई छोड़ने पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. उन्होंने 10 जून को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने 'फ़रेब और धोखेबाज़ी' पर कविता लिखी थी.
इतना ही नहीं शेख मोहम्मद की अपने नाम से एक पूरी वेबसाइट है. जिसमें वो अक़्सर कविताएं लिखते रहते हैं.
टाइम्स ऑफ़ लंदन की एक रिपोर्ट बताती है कि राजकुमारी हया के साथ उनके 11 और सात साल के दो बच्चे भी दुबई से भाग गए हैं. इन बच्चों का नाम शेख़ ज़ायद और शेख़ा अल जलिला बताया गया है.
यह रिपोर्ट बताती है कि राजकुमारी हया अपने दोनों बच्चों के साथ केनसिंगटन पैलेस के नज़दीक किसी हवेली में रह रही हैं, जिसकी कीमत करीब 107 मिलियन डॉलर है.
शाही परिवार के एक क़रीबी ने बताया है कि राजकुमारी हया ब्रिटेन में राजनीतिक शरण लेने की कोशिश कर रही हैं. साथ ही वो शेख मोहम्मद से तलाक़ लेने की अर्जी भी दायर करने वाली हैं.
हालांकि यूएई के शाही परिवारों महिलाओं को तलाक़ मिलना आसान काम नहीं है क्योंकि किसी भी शादी के साथ दो देशों के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध भी जुड़े होते हैं. राजकुमारी हया जोर्डन के किंग अबदुल्लाह द्वितीय की सौतेली बहन हैं.
ये दो सीटें लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोकसभा के लिए चुने जाने पर खाली हो चुकी हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी. इस बजट में आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण, कृषि और रोज़गार सृजन पर जोर हो सकता है.
वहीं, लोगों की नज़र आयकर की स्लैब पर भी रहेगी. 2019-20 के अंतरिम बजट में 5 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने की घोषणा की गयी थी. हालांकि, ये मोदी सरकार का पहला बजट है तो लोकलुभावन घोषणाएं कम हो सकती हैं.
बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोज़गार सृजन को गति देने पर सरकार का जोर रह सकता है.
बजट से एक दिन पहले गुरुवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया था. इसमें वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर सात फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया गया और राजकोषीय स्थिति की मजबूती पर जोर देते हुये निवेश और मांग के साथ साथ श्रम जैसे क्षेत्रों में सुधारों को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
इस आर्थिक सर्वे में अर्थव्यवस्था के आठ फ़ीसदी विकास दर पाने के लिए सुझाव दिए गए हैं जिससे 2025 में यह पांच ट्रिलियन डॉलर को पार कर सकती है.
यह सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार किया हैदोनों ही सीटें गुजरात की हैं.
हाल ही में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के 4 सांसदों और इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) के 1 सांसद के बीजेपी में शामिल होने के बाद राज्यसभा में एनडीए का दबदबा बढ़ा है.
बीजेपी के पास अपने 76 राज्यसभा सांसद हो गए हैं जबकि अन्य सहयोगी दलों के सांसदों को मिलाकर एनडीए के पास अब 116 राज्यसभा सांसद हैं.
गौरतलब है कि राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या 250 निर्धारित है. यानी एनडीए राज्यसभा में बहुमत के आंकड़े के क़रीब पहुंच गया है.
लोकसभा में गुरुवार को 'आधार और अन्य विधियां (संशोधन) 2019' पास कर दिया गया है. इस विधेयक के मुताबिक बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फ़ोन के लिए सिम लेने के लिए आधार कार्ड स्वैच्छिक होगा.
फिलहाल खाता खोलने और सिम लेने के लिए आधार कार्ड देना अनिवार्य है. यह नियम बहुत विवादित रहा है और लोगों की निजी जानकारी को ख़तरे को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं.
लोकसभा में एक चर्चा में जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आधार को सुरक्षित बताया और आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही डेटा संरक्षण विधेयक लायेगी और इसकी प्रक्रिया जारी है.
उन्होंने कहा कि आधार संशोधन विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए लाया गया है. किसी के पास आधार नहीं होने पर उसे किसी सरकारी योजना से वंचित नहीं किया जा सकता है. वहीं, आधार से जुड़ी कोई सूचना जाहिर करने के लिये धारक से अनुमति लेनी होगी.

Tuesday, July 2, 2019

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去年7月,也就是该项目获批3年后,当地政府才正式将这个采矿计划告知了当地居民。

哇暖尼越郡土地肥沃,河流丰沛,湖泊和湿地面积广大,当地农民能够通过这个完整的生态系统获得日常所需的食物和各种其他资源。

玛丽说道:“我无法想象这个大型工业采矿项目会给这里带来多少影响。盐能毁灭一切,这才是最可怕的。”​ 钾碱开采会产生大量的副产品盐。当地人担心,这个项目可能会让本就重度盐渍的土地变得寸草不生。

一旦雨水将盐分冲入河流、湖泊和湿地,所有淡水生物基本都无法存活。除此之外,当地Huay Thong湖的渔业也将受到影响,而这个湖泊同时也是周边上万人的重要水源地。 三十年前,泰国东北部玛哈沙拉堪府( )母拉巫郡(Borabue)的一次岩盐作业就造成了巨大的环境灾难,当地土壤和水源同时受到盐分污染。政府最终决定禁止在该地区进行盐类生产,目前当地环境恢复工作仍在继续。

来自社区主导影响评估所( - )的桑蓬(  )表示,吸入大量盐尘会导致呼吸系统疾病。除此之外,矿井灰尘还可能含有大量的重金属成分。玛丽指着那些尾料堆说:“我们不知道这家公司打算如何保护我们免受盐矿山粉尘与咸水的影响。而且,这些措施到底能有多大作用?”

当地居民和专家还担心,大规模的钾碱开采还会导致出现高危下沉洞。此前,一项岩盐开采作业就导致附近地区出现了一个深15米、面积如足球场大小的下沉坑。 但对哇暖尼越郡的居民来说,矿业公司的保证为时已晚。此外,当地居民感觉自己完全被排除在了这个重大决策的制定过程之外,于是一怒之下在2016年成立了一个反矿小组。

包括玛丽 桑普斯瑞在内的多位中年抗议活动领导人与活动家、学者和非政府组织合作,齐声反对在当地开采钾碱矿。他们四处张贴条幅,组织公共论坛,向官员和企业提交请愿书,希望叫停这个项目。

明达公司计划在当地建立60个钻井探测点,以便在正式开采前评估钾碱资源的质量。去年2月,反矿小组的活动进一步升级,并在示威过程中封锁了通往第4个钻井点的道路,阻止了钻井设备进入预定区域。此外,抗议者还封锁了第3个钻井点。最终,明达公司仅剩余两个钻孔点。 作为对当地示威活动的回应,明达公司选择对抗议小组的9名成员提起20项诉讼

阿比查表示:“我们起诉是因为我们的经营活动遭到了非法阻碍,导致我们遭受了财产损失。如果我们不遵守法律,没人能保护我们,所以我们必须提起法律诉讼。”

明达公司表示,每阻断一个钻井给该公司造成的损失大约为500万泰铢(约合15.75万美元)。

明达公司指控当地村民非法阻碍其进入矿区,恶意诽谤,同时其在社交媒体上要求对该项目发起官方调查的行为也有违泰国《电脑犯罪法》(Computer Crimes Act)。因此,明达公司决定累计寻求赔偿约3400万泰铢。

但是抗议小组的辩护律师萨卡丰( )认为,村民们采取的是合法行动,“法律允许人们公开行使保护资源、文化和地方生活方式的权利。” 泰国东北部地区的活动家和行业专家早在2017年8月就指出,泰国政府颁布有利于工业和采矿的新法后,当地自然资源管理的冲突可能会变得更加严重。 但是,军政府低估了哇暖尼越郡等地居民对这个钾碱项目的不满和抵制。

玛丽表示:“我们这不需要工业!我们不会让这个自然资源丰富的地区变成工业区。”

事实上,包括呵叻府、猜也奔府、黎府和乌隆府在内的多个区域都爆发了反矿抗议行动

自然资源管理专家指出,该地区的不少矿业项目都存在规划问题。

乌隆皇家大学教师 认为,在长期居民区和农场附近设置矿区肯定会造成冲突

他说:“加拿大的矿山附近就没有居民区。但是在泰国则完全不同,政府直接把矿

这份新矿产法由军政府任命的立法机构起草并批准,能够迅速追踪采矿特许权的审批流程。根据新法,审议时间将从原来的310天削减到100到150天内。

著名环保人士Lertsak  表示,通过设立“矿产委员会”,这份法案提高了泰国各府矿业监督官员的决策权。而这个委员会“恰好”基本是由工业部官员和矿业公司代表组成的

与此同时Lertsak认为,这个法案限制了普通公民在自然资源管理流程中的代表性和参与性。

玛哈沙拉堪大学环境专家  认为,泰国军政府是根据矿企的需求对本国采矿法进行的改革。他认为,这么做就是为了降低环保和公众参与带来的监管障碍,为泰国矿产资源的商业化开发铺平道路。

Tuesday, June 25, 2019

क्रिकेट विश्वकप 2019: शाकिब अल हसन ने कैसे छोड़ा युवराज और वॉर्नर को पीछे

शाकिब अल हसन के शानदार हरफ़नमौला प्रदर्शन से बांग्लादेश ने सोमवार को क्रिकेट विश्वकप में अफ़ग़ानिस्तान को 62 रनों से मात दे दी.
इस जीत के साथ ही बांग्लादेश की टीम अब अंकतालिका में पांचवें स्थान पर पहुंच गई है. उसके सात मैचों में सात अंक हो गए हैं.
बांग्लादेशी ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने पहले बल्लेबाजी में अपना हुनर दिखाते हुए टीम के लिए 51 रनों का योगदान दिया और उसके बाद गेंदबाज़ी में भी कमाल का प्रदर्शन करते हुए महज़ 29 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए.
विश्व कप के एक ही मैच में अर्धशतक और पांच विकेट हासिल करने का कारनामा करने वाले शाकिब दुनिया के दूसरे ऑलराउंडर बन गए हैं. इससे पहले भारत के युवराज सिंह ने यह कारनामा किया था.
युवराज सिंह ने साल 2011 के विश्वकप में आयरलैंड के ख़िलाफ़ 5 विकेट झटके थे और नाबाद 50 रनों की पारी खेली थी.
इसके साथ ही शाकिब फिलहाल मौजूदा विश्व कप में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बन गए हैं. उन्होंने सात मैचों में 476 रन बना लिए हैं. इस मैच में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज बल्लेबाज़ डेविड वॉर्नर को पीछे छोड़ा, जिनके नाम अब तक 447 रन हैं.
इस सूची में तीसरे स्थान पर इंग्लैंड के बल्लेबाज़ जो रूट हैं, उन्होंने 424 रन बनाए हैं.
शाकिब अल हसन एक विश्व कप में 400 से अधिक रन और 10 विकेट हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं. इससे पहले किसी भी खिलाड़ी ने 400 रन और 10 विकेट का आंकड़ा एक ही विश्व कप में हासिल नहीं किया था.
2011 के विश्व कप में युवराज ने 362 रन बनाए थे जबकि 15 विकेट हासिल किए थे.
वहीं गेंदबाज़ी में फिलहाल तीन खिलाड़ी नंबर एक पर मौजूद हैं. ये हैं इंग्लैंड के जोफ़्रा आर्चर, ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क और पाकिस्तान के मोहम्मद आमिर. इन तीनों ही गेंदबाज़ों ने 15 विकेट हासिल किए हैं.
मैच में टॉस अफ़ग़ानिस्तान के कप्तान गुलबदिन नईब ने जीता और पहले गेंदबाज़ी का फ़ैसला किया. बांग्लादेश की शुरुआत बहुत खास नहीं रही और महज़ 23 रनों के योग पर उसका पहला विकेट गिर गया. लिटन दास ने 16 रन बनाए.
इसके बाद तमीम इक़बाल और शाकिब अल हसन ने टीम के स्कोर को 80 के पार पहुंचाया. तमीम 36 रन बनाकर मोहम्मद नबी की गेंद पर बोल्ड हुए. दो विकेट गिरने के बाद शाकिब ने मुशफिक़ुर रहीम के साथ मिलकर बांग्लादेश की पारी को आगे बढ़ाया.
शाकिब ने 69 गेंदों पर 51 रन बनाए, वहीं दूसरी तरफ रहीम ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 83 रन बनाए और वे पारी के 49वें ओवर में आउट हुए.
अंतिम ओवरों में महमूदुल्लाह ने 27 जबकि मोसाद्दिक हुसैन ने 35 रन बनाए. बांग्लादेश ने कुल 263 रनों का लक्ष्य रखा.
263 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी अफ़ग़ानिस्तान की शुरुआत अच्छी रही. शुरुआती 10 ओवर तक टीम के ओपनर गुलबदिन नईब और रहमत शाह ने अपने विकेट बचाए रखे और इस बीच 48 रन भी जुटाए.
10 ओवर के बाद बांग्लादेश के लिए गेंदबाज़ी करने आए शाकिब अल हसन ने पहले गुलबदिन और उसके बाद रहमत शाह को अपना शिकार बनाया. गुलबदिन ने 75 गेंदों पर 47 रनों की पारी खेली.
इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के विकेट लगातार अंतराल में गिरते चले गए. साथ ही धीमी बल्लेबाज़ी के चलते ज़रूरी रनरेट भी बढ़ता चला गया. टीम के अनुभवी बल्लेबाज़ मोहम्मद नबी अपना खाता तक नहीं खोल सके.
हालांकि समिउल्लाह शिनवारी ने एक छोर संभाले रखा और उन्होंने 51 गेंदों पर नाबाद 49 रन बनाए.
बांग्लादेश के लिए उसके स्टार खिलाड़ी और दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने 10 ओवर में 29 रन देकर पांच विकेट हासिल किए, जबकि मुस्तफ़िज़ुर रहमान ने दो विकेट चटकाए.
इस जीत के साथ ही बांग्लादेश ने अभी भी अंतिम चार में पहुंचने की अपनी संभावनाओं को जीवित रखा है. उसके अभी दो मैच बाकी है और उन दोनों में उसे जीत दर्ज करना ज़रूरी है. इनमें से एक मैच भारत के ख़िलाफ़ है.
जिस तरह का ऑलराउंडर प्रदर्शन शाकिब इस विश्वकप में कर रहे हैं, उसे देखते हुए भारतीय टीम को उनके ख़िलाफ़ बेहतर तैयारी के साथ उतरना होगा.

Sunday, June 9, 2019

ترامب: توصلنا لاتفاق لتجنب فرض تعريفات جمركية على المكسيك

وافقت المكسيك على اتخاذ "خطوات غير مسبوقة"، من أجل المساعدة في وقف تدفق المهاجرين إلى الولايات المتحدة، وذلك بهدف تجنب التعريفات الجمركية، التي هدد الرئيس دونالد ترامب بفرضها على صادراتها.
وكشف ترامب، في سلسلة من التغريدات، عن التوصل لاتفاق لتعليق التعريفات "إلى أجل غير مسمى".
وكان الرئيس الأمريكي قد هدد بفرض رسوم جمركية، على واردات بلاده من المكسيك بنسبة 5 في المئة، ترتفع كل شهر، ما لم تتحرك المكسيك لكبح الهجرة.
وكان من المقرر أن تدخل الرسوم الجمركية حيز التنفيذ، الاثنين المقبل.
وجاء الاتفاق - الذي أكده أيضا وزير الخارجية المكسيكي، مارسيلو إيبرارد، في تغريدة عبر تويتر - بعد ثلاثة أيام من المفاوضات، والتي شهدت مطالبة واشنطن بفرض ضوابط صارمة على المهاجرين، القادمين من أمريكا الوسطى.
وكان ترامب قد أعلن حالة الطوارئ، على الحدود بين بلاده والمكسيك في فبراير/ شباط الماضي، قائلا إن ذلك الإجراء ضروري، لمعالجة ما وصفه بالأزمة، في ظل تدفق الآلاف من المهاجرين غير الشرعيين عبر الحدود.
وفي بيان مشترك، صدر عن وزارة الخارجية الأمريكية، أعلن البلدان أن المكسيك ستتخذ خطوات "غير مسبوقة"، للحد من الهجرة غير الشرعية والاتجار بالبشر.
لكن يبدو أن الولايات المتحدة لم تحصل على أحد مطالبها الرئيسية في الاتفاق، وهو استقبال المكسيك طالبي اللجوء المتجهين إلى الولايات المتحدة، والتعامل مع طلباتهم على أراضيها.
ووفقا للاتفاق، ستقوم المكسيك بنشر قوات الحرس الوطني، في جميع أنحاء البلاد، بدءا من يوم الاثنين المقبل، وتعهدت بنشر نحو 6 آلاف جندي إضافي، على طول حدودها الجنوبية مع غواتيمالا.
كما ستلتزم باتخاذ "إجراءات حاسمة"، في التعامل مع شبكات تهريب البشر.
أما واشنطن فستقوم بتوسيع برنامجها، لإرسال طالبي اللجوء إلى المكسيك، أثناء انتظارهم لمراجعة طلباتهم. في المقابل "ستعمل واشنطن على تسريع" عملية الفصل في طلبات اللجوء.
كما تعهد البلدان بـ "تعزيز التعاون الثنائي" بشأن أمن الحدود، بما في ذلك "الإجراءات المنسقة" وتبادل المعلومات.
كشفت شركة غوغل عن مزيد من التفاصيل حول منصة ألعاب الفيديو، ستاديا، التي أُعلن عنها أول مرة في مارس/آذار.
وستاديا هي منصة ألعاب سحابية يمكن للاعبين من خلالها ممارسة ألعابهم عبر الإنترنت مباشرة دون الحاجة إلى شراء وحدة تحكم في الألعاب واسطوانات وتنزيلات.
وتنطلق خدمة المنصة في نوفمبر/تشرين الثاني بنسخة محدودة كبداية للمستخدمين الأوائل.
وستوفر استوديوهات مثل إلكترونيك آرتس و بيثيسدا ألعاب فيديو لمنصة ستاديا، لكن الشركات الكبرى مثل إبيك غيمز لم تعلن بعد عن توفير ألعاب فيديو للمنصة.
وتقول الشركة إن ذلك سيوفر للاعبين سرعة فائقة في معالجة الصور أكثر مما توفره منصتَا "إكس بوكس وان" و"بيه إس فور" مجتمعتين.
لكن لم يتبين بعد كيف ستعمل المنصة لدى دخولها حيز التطبيق العملي. ولم تسمح غوغل لبي بي سي بعد بتجريب منصة ستاديا، وإنما تكتفي الشركة بعرض الخدمة للصحفيين في معرض الترفيه الإلكتروني (إي 3) في يونيو/حزيران الجاري.
وتقول غوغل إن بث ألعاب عالية الدقة (4 كيه) يتطلب من اللاعبين تأمين اتصال بالإنترنت قادر على سرعة تنزيل 35 ميغابايت وسرعة رفع 1 ميغابايت في الثانية.
وتوصي الشركة بسرعة لا تقل عن 10 ميغابايت في الثانية لبث الألعاب بدقة منخفضة.
الطريقة الوحيدة لتجريب ستاديا لدى إطلاقها في نوفمبر/تشرين الثاني ستكون عبر مسلتزمات أولية، وسيتكلف ذلك نحو 129 دولارا في الولايات المتحدة.
ويشمل ذلك مقبض تحكّم لونه أزرق قاتم، وعصا تحكّم لجهاز "كروم كاست ألترا"، واشتراك "ستاديا برو" مدته ثلاثة أشهر.
ويسمح الاشتراك للاعبين ببث ألعاب من مكتبة متضمنة بدقة عالية (4 كيه).
لكن مكتبة الاشتراك لن تشتمل على كافة الألعاب على منصة استاديا؛ وستكون هنالك حاجة إلى شراء معظم ألعاب الفيديو الحديثة بشكل منفصل.
وابتداء من عام 2020، ستوفر الشركة مقود التحكم بشكل منفصل مقابل 59 جنيها استرلينيا، فضلا عن أنها ستوفر اشتراك بروستاديا مقابل 8.99 جنيها استرلينيا شهريا.
وسيتمكن اللاعبون الذين سيؤثرون عدم الاشتراك من شراء ألعاب بشكل منفرد لكنهم سيواجهون صعوبة في البث بدقة عالية تتجاوز 4 كيه.
تقول غوغل إن 30 لعبة على الأقل ستتوفر لدى إطلاق منصة ستاديا، من استوديوهات كبرى أمثال: بيثيسدا، وإلكترونيك آرتس، وروك ستار، وسيغا، وسكوير إنيكس، ووارنر بروس، و يوبي سوفت.
لكن بعض الاستديوهات الكبرى لا تزال غائبة عن المشهد حتى الآن، ومنها استوديو أكتيفيجن بليزارد، واستوديو إبيك غيمز؛ مما يعني غياب عدد من أكثر الألعاب شعبية حول العالم عن منصة ستاديا لدى إطلاقها.

Thursday, May 30, 2019

تغريم رجل حاول نقل 4700 دودة طفيلية "مصاصة للدماء" من روسيا إلى كندا

غرم رجل 15000 دولار كندي (أي ما يعادل 11000 دولار أمريكي) لمحاولته تهريب آلاف الديدان الطفيلية من صنف العليقات التي تمتص دماء الحيوانات والبشر، في حقيبة يده على متن رحلة جوية من روسيا إلى كندا.
واحتجز إيبوليت بودنوف في مطار تورنتو بيرسون الدولي في شهر أكتوبر/تشرين الأول الماضي.
وعثر على حوالي 4788 دودة من هذا النوع في كيس بقالة، بحسب ما قاله مسؤولو البيئة الكنديون.
وتستخدم هذه الديدان في أغراض طبية، ولا يسمح بنقلها إلا بتصريح حفاظا على تجارة الحيوانات البرية.
وكشف عن الديدان بعد أن شمها كلب يعمل مع مسؤولي الحدود.
ثم أرسلت لاختبارها والتأكد من قانونية نقلها، بحسب ما قاله بيان لهيئة البيئة وتغير المناخ في كندا.
وقيل إن فصيلة الديدان هي هيرودو فيربانا، وهي إحدى فصيلتين تستخدمان في الأغراض الطبية، ويحكم القانون نقلها.
وقال البيان: "إن القانون يسعى إلى الحفاظ عليها، لأن استخدامها في المجالات الطبية خطر يهدد ذلك النوع".
وتبين أن جميع الديدان التي اختبرت كان مصدرها الحياة البرية.
وقال سيباستيان كفيست، الذي يعمل في متحف أونتاريو الملكي في تورنتو، لمحطة سي بي سي الإخبارية إن جميع الديدان أنقذت.
واتهم بودونوف، الذي يعتقد أنه أول شخص في كندا يقبض عليه وهو يهرب مثل تلك الطفيليات، بتوريد أنواع برية بطريقة غير قانونية.
وكانت تلك الطفيليات، التي تمتص دماء الحيوانات والبشر، من أوائل الأنواع البرية التي ينظم القانون إجراءات التعامل معها، بما في ذلك فرض قيود على تصديرها، وترجع تلك الإجراءات إلى عام 1823.
ويحتوي لعاب تلك الطفيليات على خصائص لترقيق الدم، وكانت حيوية جدا في النتائج الإيجابية في العمليات الأولى لعلاج غسيل الكلى لدى البشر.
كشف علماء عن أن هناك "مفارقة" تؤدي إلى أضرار تلحق بقدرة الرجال على الإنجاب بسبب أساليب يتبعونها من أجل الحصول على مظهر أكثر جاذبية.
كما رجحوا أن تناول المنشطات للحصول على عضلات مفتولة أو تناول أقراص مضادات الصلع للحفاظ على كثافة شعر الرأس، يؤثر سلبا على الخصوبة.
وسميت هذه المفارقة باسم "مفارقة موسمان بايسي" على اسمي العالمين اللذين اكتشفاها للمرة الأولى.
وتسبب هذه الحالة ألما نفسيا شديدا للأزواج الذين يعانون من أجل إنجاب أطفال.
وقال الأستاذ بجامعة براون الأمريكية جيمس موسمان: "لاحظت أن بعض الرجال الذين يأتون من أجل اختبار خصوبتهم، هم رجال ذوو أجسام ضخمة".
وكان موسمان لا يزال يعد رسالة الدكتوراة في جامعة شيفيلد عندما بدأ في الربط بين ضعف الخصوبة وإساءة استخدام المنشطات.
وقال موسمان لبي بي سي: "يحاولون أن يظهروا بمظهر ضخم حقا حتى يبدو كأنهم في قمة النمو".
وأضاف: "لكنهم يجعلون أنفسهم غير لائقين بالمعنى التطوري، وذلك لأنهم دون استثناء ليس لديهم حيوانات منوية في سائل القذف".
وتحدث المنشطات البنائية في الجسم نفس أثر هرمون التيستوستيرون، وتستخدم كأدوية لتعزيز الأداء لزيادة نمو العضلات.
كما يستخدم ممارسو رياضة كمال الأجسام هذا النوع من المنشطات بانتظام.
وقال آلان بايسي، الأستاذ بجامعة شيفيلد، لبي بي سي: "أليس من المثير للسخرية أن الرجال يذهبون إلى صالات الألعاب الرياضية حتى يحصلون على مظهر رائع، وهو غالبا ما يسعون إليه لجذب النساء. وبينما هم يفعلون ذلك، ودون أن يقصدوا، تتراجع الخصوبة لديهم."
وتوهم هذه الفئة من المنشطات الغدد النخامية في المخ بأن الخصيتين تقتربان من العمل بأقصى سرعة لهما.
لذلك تستجيب تلك الغدد بالتوقف عن إفراز اثنين من الهرمونات، أحدهما يسمى "إف إس إتش" والآخر هو "إل إتش"، وهما هرمونان لهما دور رئيسي في إنتاج الحيوانات المنوية.
وقال الباحثون إن هناك تشابه بين هذه الحالات، وتلك الخاصة بالأشخاص الذين يتناولون عقاقير مضادة للصلع.
ويسبب عقار فيناسترايد المضاد للصلع تغيرات في عملية الأيض المسؤولة عن إفراز هرمون التيستوستيرون في الجسم، وهو ما قد يحد من تساقط الشعر، لكن الأعراض الجانبية لهذا العقار قد تتضمن الإصابة بضعف في الانتصاب وتدهور في الخصوبة.
وأضاف بايسي: "أعتقد أن من يتناولون المنشطات البنائية يُصابون بالعقم إلى حد قد يفوق تصورنا، وقد تصل نسبة الإصابة إلى 90 في المئة."
وأضاف: "الإصابة بالصلع لا يمكن أن تحكمها ضوابط محددة، لكن مبيعات هذه العقاقير تشهد ارتفاعا حادا، وهو ما يجعل المشكلة أكثر انتشارا."
يُعد معيار النجاح فيما يتعلق بالتطور هو نقل الجينات (التعليمات التي يحملها الحمض النووي) إلى الأجيال القادمة.
قال موسمان: "بينما يجعلك تناول الأدوية التي تستهدف تحسين المظهر أكثر جاذبية، فإنه قد يؤدي بك إلى الفشل في التطور"، في إشارة إلى إمكانية فقد القدرة على الإنجاب.
إن الأمر مختلف تماما عن ذيل الطاووس المبالغ فيه، الذي يجعل الذكور أكثر جاذبية للإناث ويزيد من فرص تمرير الجينات إلى الأجيال التالية.
وهناك بعض الأمثلة في عالم الطبيعة لحيوانات تضحي بقدرتها على التكاثر.
فبعض فصائل الطيور تؤدي دورا تعاونيا في التكاثر، إذ تتخلى عن الإنجاب لصالح المساعدة في تربية صغار أقاربها.
ويبدو ذلك منطقيا من حيث التطور، إذ يتقاسم الأشقاء نصف جيناتهم، ومن ثَمَ تُمرر إلى الأجيال القادمة، لكن بطريقة غير مباشرة.
ويرى موسمان أن التفكير في أن تكون أكثر قبولا لدى الجنس الآخر أمر مقبول، لكن لا يجب أن يكون ذلك على حساب الإضرار بخصوبتك.
وقال بايسي لبي بي سي: "المفارقة ليست كل شيء هنا، فأعتقد أن هناك رسالة موجهة إلى مرضى الخصوبة يحملها هذا الاكتشاف".
وأضاف أن الحالات التي تعاني من مشكلات في الخصوبة لا تزال تتوافد على العيادات، "لكن الرسالة لم تصل بعد إلى الشباب، وهي أن هناك مشكلة، وأن معلومات قليلة قد تجنبهم الكثير من المعاناة."

Wednesday, May 22, 2019

هل تنجح السعودية في حشد العرب لمواجهة إيران؟

بينما تواصل واشنطن وطهران دق طبول الحرب، جاءت دعوة العاهل السعودي الملك سلمان بن عبد العزيز، لقادة الدول العربية ومجلس التعاون الخليجي، إلى عقد قمتين طارئتين عربية وخليجية في مكة في الثلاثين من أيار/ مايو الجاري.
ونقلت وكالة الأنباء السعودية، عن مسؤول بالخارجية قوله، إن القمتين المزمعتين ستبحثان "الاعتداءات الأخيرة على محطتي نفط بالسعودية والهجوم على سفن تجارية بالمياه الإقليمية الإماراتية وتداعياتها على المنطقة"، مشيرًا إلى "حرص سلمان بن عبد العزيز على التّشاور والتنسيق مع مجلس التعاون وجامعة الدول العربية في كل ما من شأنه تعزيز الأمن والاستقرار في المنطقة".
غير أنه ورغم الهدف المعلن للقمتين، اللتين دعا إليهما العاهل السعودي، فإن مراقبين يربطون بين الدعوة لهما، وطبول الحرب التي ماتزال تقرع في المنطقة، ومخاوف السعودية ودول الخليج من تداعياتها، وكذلك رغبتها في حشد تأييد عربي لأي ضربة أمريكية محتملة لإيران.
لكن هل تبدو الأجواء بالفعل مهيأة لنجاح المسعى السعودي بتشكيل جبهة عربية موحدة ضد إيران؟ سؤال يرى مراقبون أن الإجابة عليه، تعكسها بوضوح طبيعة التحالفات الإيرانية، القائمة بالفعل في المنطقة العربية، في وقت تبدو فيه طهران مسيطرة في العديد من عواصم دول المنطقة، وقد نسجت تحالفات قوية مع أطراف عدة في العراق وسوريا واليمن ولبنان.
وفي الوقت الذي جاء التأييد مباشرا، من دول حليفة بالفعل للمملكة العربية السعودية، مثل البحرين والإمارات، بدا موقف دول عربية أخرى غير واضح حتى الآن، من احتمالات المشاركة في قمة من هذا القبيل، أو تبني موقف السعودية ضد إيران، وكان الرئيس المصري عبد الفتاح السيسي، قد أكد خلال استقباله السفير السعودي في القاهرة أسامة بن أحمد نقلى، تضامن مصر مع المملكة حكومة وشعبا، في التصدي لجميع المحاولات الساعية للنيل من أمن واستقرار السعودية وأمن الخليج.
غير أن محللين يرون أن مصر قد تكون في المرحلة الحالية غير راغبة على الإطلاق في المشاركة، في أي عمل عسكري في أي مكان بالمنطقة، في ظل ما تواجهه من أزمة اقتصادية، ورغبة منها في الانكفاء على الداخل، من أجل الإصلاح وكذلك لعدم كسب أعداء جدد في الإقليم.
وقد أشارت عدة تقارير إعلامية سابقا، إلى أن كلا من الرياض وأبو ظبي تشعران بالقلق، تجاه عدم وجود موقف مصري واضح ضد طهران، التي ماتزال تربطها بالقاهرة علاقات دبلوماسية وإن كانت في مستوى منخفض.
في جانب آخر يبدو من المؤكد أن دولا حليفة لإيران في المنطقة العربية، قد لا تحضر مثل هذه القمة التي يدعو لها العاهل السعوي، كما أنها وفي حالة حضورها، ربما تحجم عن تبني أي مواقف مناهضة لإيران، وهو ما يرى كثيرون أنه سيؤدي إلى تكريس مزيد من الانقسام بين الدول العربية.
وعلى وسائل التواصل الاجتماعي أكد ناشطون معارضون، أن مصير القمتين اللتين دعت إليهما الرياض، سيكون الفشل المؤكد، لأن السعودية من وجهة نظرهم، خسرت مكانتها بسبب الحرب في اليمن، ودعمها للثورات المضادة في عدة دول عربية.
وعبر هاشتاج #القمة_الخليجية_الطارئة، اعتبر الناشطون أن السعودية تأتي الآن، لتستنجد بالصف العربي، في وقت فرقت هي فيه الشعوب والدول العربية، في ظل سياساتها المعادية لحقوق الشعوب، كما اعتبروا أن دعوات السعودية تلك، تأتي بهدف تهيئة الأجواء لتنفيذ ما بات يعرف بصفقة القرن وهي الخطة الأمريكية لتسوية النزاع الفلسطيني الإسرائيلي.
غير أن نشطاء آخرين مؤيدين أعربوا عن دعمهم للخطوة السعودية ورأوا أنها تصب في صالح خلق جبهة عربية تواجه التوغل الإيراني في المنطقة وتضع حدا لمحاولات طهران فرض سيطرتها على الخليج.
هل تنجح السعودية في حشد العرب لمواجهة إيران؟
ولماذا تبدو السعودية متحمسة لتشكيل جبهة عربية موحدة ضد طهران في هذا التوقيت بالذات؟
هل تتفقون مع من يرى أن العالم العربي مقدم على مزيد من الانقسام بفعل الموضوع الإيراني؟
كيف سيكون موقف الدول العربية المتحالفة مع إيران من أي قرار عربي بشأن طهران؟
سنناقش معكم هذه المحاور وغيرها في حلقة الإثنين 20 أيار/مايو من برنامج نقطة حوار الساعة 16:06 جرينتش.

Monday, May 20, 2019

سقوط صاروخ "وسط المنطقة الخضراء" شديدة التحصين بالعاصمة العراقية

سقط صاروخ في "المنطقة الخضراء" شديدة التحصين بالعاصمة العراقية بغداد.
وتشير تقارير إلى أن الصاروخ أصاب أحد المنشآت المهجورة بالقرب من السفارة الأمريكية في "المنطقة الخضراء".
وقال الجيش العراقي في بيان مقتضب إن "صاروخ كاتيوشا سقط في وسط المنطقة الخضراء دون حدوث أي خسائر، وسوف تأتي التفاصيل لاحقا".
ونقلت وكالة رويترز عن مصدر بالشرطة العراقية قوله إن قوات الشرطة الخاصة عثرت على منصة لإطلاق صواريخ في منطقة الصناعة في شرقي بغداد، وأغلقت المنطقة.
وحسب المصدر، فإن قيادة عمليات بغداد أرسلت فريقا من الخبراء العسكريين إلى المكان، مضيفا أن رجال الشرطة يبحثون عن مشتبه بهم في المنطقة.
ويُعرف عن "المنطقة الخضراء" أنها شديدة التحصين، إذ تضم منشآت حكومية وسفارات أجنبية.
وسمع سكان العاصمة دوي الانفجار.
ولا يعرف من يقف وراء الهجوم.
ويأتي ذلك وسط تصاعد في التوتر بالمنطقة بين إيران والولايات المتحدة.
وتقول واشنطن إن ثمة تهديدات من جانب إيران، وأمرت برحيل بعض موظفيها غير الأساسيين بالسفارة في بغداد والقنصلية في إربيل بإقليم كردستان.
تواجه شهرزاد ميرقليخان (41 عاماً)، التي عملت سيدة أعمال و"مفتشاً خاصاً" في مؤسسة الإذاعة والتلفزيون الرسمي الإيراني، تهمة التجسس لصالح الولايات المتحدة من قبل "وحدة استخبارات تابعة للحرس الثوري الإيراني" حسب قولها، بينما كان يراها الإيرانيون سابقاً "بطلة وطنية" عندما سُجنت في الولايات المتحدة بتهمة التجسس لصالح إيران عام 2007.
وأثارت سيدة الأعمال شهرزاد جدلاً واسعاً في أوساط الإيرانيين بعد نشرها عدة وثائق ومقاطع مصورة في مايو/أيار الحالي، التي أنذرت فيها المرشد الأعلى آية الله خامنئي والحرس الثوري، عبر صفحتها في موقع التواصل الاجتماعي، تويتر، بأنها ستكشف عن أوراق الفساد في دائرته الضيقة جداً.
وبدأت رسالتها بـ: "عزيزي آية الله.. انتهت اللعبة، حان الوقت لكي يعلم العالم أن ابنك مجتبى خامنئي وأعوانه مصدر الفساد والشر في إيران، سأكشف عن جميع الأوراق التي بحوزتي، عن لا إنسانيتهم ولا عدالتهم وفسادهم، ولا يهمني شيء سوى إيران وشعبها".
ويتساءل بعض الإيرانيين عن سرّ تحذيراتها "الجريئة" أو "المزيفة" التي قد تدين أعلى الجهات في البلاد.
حاورتها بي بي سي عربي لمعرفة حقيقة التهم الموجهة إليها وسرّ جرأتها في تهديد الاستخبارات الإيرانية وخامنئي.
عندما تم إطلاق سراح شهرزاد من السجن في الولايات المتحدة، استُقبلت في بلدها استقبال "الأبطال" وعُينت بعد فترة وجيزة مديرة للعلاقات العامة في تلفزيون "برس تي في" الحكومي.
وبعد ذلك بعام، عيّنها محمد سرافراز، المدير السابق لمؤسسة الإذاعة والتلفزيون الرسمي الإيراني، في منصب "المفتش الخاص" في المؤسسة.
وبحكم وظيفتها، اطلعت شهرزاد على جميع المسائل والقضايا التي كان "يتدخل فيها الحرس الثوري وابن خامنئي، مجتبى".
وكان يتعين عليها رفع التقارير إلى سرافرازالذي بدوره كان يرفعها لخامنئي مباشرة.
يُذكر أن رئيس مؤسسة الإذاعة والتلفزيون الرسمي يُعين من قبل خامنئي شخصياً.
وحسب شهرزاد، بدأت المشكلة بعد إعدادها فيلماً وثائقياً عام 2015، عن تجربتها في السجن في الولايات المتحدة، وعن تورط زوجها السابق محمود سيف في تهريب خوذ مزودة بمنظارات ليلية تُستخدم لأغراض عسكرية إلى الحرس الثوري وبعلم ابن خامنئي.
وكانت وحدة استخبارات تابعة للحرس الثوري قد طلبت منها عدم نشر كتابها الذي تضمن جميع مذكراتها والتي تتحدث فيه عن المعاملة السيئة التي لقيتها في السجن من جهة ومن زوجها السابق محمود سيف من جهة أخرى.
ولم تمضِ فترة طويلة، حتى اتهمت بالتجسس لصالح الولايات المتحدة من قبل الحرس الثوري وطُلب منها مغادرة البلاد إلى سلطنة عمان على حد قولها. إلا أن الحرس الثوري ينفي ذلك.
وبعد سفرها إلى مسقط، العاصمة العمانية، سافر سرافراز إليها ومعه الوثائق (المذكرات) التي تركتها خلفها في إيران، كما شوهد في مقطع الفيديو الذي نشرته شهرزاد في صفحتها في موقع التواصل الاجتماعي، تويتر.
وأضافت بأن تلك الأوراق وجهاز الكمبيوتر الخاص بها، قد سرقت من سيارتها دون المسّ بأشياء أخرى، مما جعلها توجه أصابع الاتهام إلى رجال الحرس الثوري، ووافقها الرأي سرافراز الذي أكد ذلك في مقابلة على قناة تلفزيونية.
لكن الحرس الثوري ومجتبى خامنئي وقياديين آخرين لا يولون أهمية لما تقوله في صفحتها في تويتر، بل يطالبون سرافراز الذي أكد على كلامها ودافع عنها علناً بتقديم دلائل وإثباتات تؤكد كلامه.
وليس واضحاً سر مخاطرة محمد سرافراز ودفاعه العلني عن شهرزاد التي تهدد أعلى الجهات.
وتقول شهرزاد: "لا يريدونني الكشف عن جرائم زوجي السابق، المقرب من مجتبى والحرس الثوري، ودائرة الأشرار المحيطة بهم".
بعد عودتها إلى إيران، كانت شهرزاد مقربة من السلطة وتسلمت مناصب إعلامية وإدارية مهمة في البلاد، إلا أن "صدمتها بدأت عندما منعتها الاستخبارات الإيرانية من نشر مذكراتها عن فترة سجنها، وتقول: " ففي الوقت الذي كان يوصف فيه الأمريكيون بأنهم "الشيطان الأكبر" من قبل الإيرانيين بمن فيهم شخصيات قيادية بارزة، كنت ممنوعة من نشر مذكراتي عن السجن".
وكانت تلك بداية المشكلة، إذ "لفّق" وقتها الحرس الثوري تهمة "التجسس لصالح الولايات المتحدة" دون أي اثبات أو دليل، على حد تعبيرها.
كما قالت بأن الحرس الثوري اتهمها بإقامة علاقة رومانسية مع سرافراز وأشيع خبر هروبها من البلاد وحاولوا تشويه سمعتها بشتى الوسائل، لكن الحرس الثوري نفى ذلك بحسب مواقع إيرانية محلية.

Monday, May 13, 2019

الاحتباس الحراري: كيف جعل أغنياء العالم أكثر ثراء؟

ونختم بمقال نشرته صحيفة الاندبندنت لبول غالهير بعنوان "ارتفاع عدد الوفيات جراء الإصابة بأمراض القلب لمن هم دون 75 من العمر".
وقال كاتب المقال إن عدد الوفيات جراء الإصابة بالأمراض القلبية والدموية مثل الجلطة ارتفع للمرة الأولى منذ خمسين عاماً لمن هم دون سن 75 من العمر، بحسب آخر الإحصاءات.
ونقل كاتب المقال عن مؤسسة القلب البريطانية قولها إن الإصابة بمرض السكري أو ارتفاع ضغط الدم والكوليسترول والسمنة المفرطة له دور في زيادة معدلات الوفيات لدى الأشخاص ممن هم دون 75 من العمر.
وأضاف أن ملايين الأشخاص لا يعلمون أنهم مصابون بالكوليسترول أو بارتفاع ضغط الدم، مما يزيد من نسبة تعرضهم للسكتات القلبية القاتلة أو الجلطات القلبية المميتة.
على الرغم من أن درجات الحرارة ترتفع على مستوى العالم بأسره، فإن إحساسنا بتأثير ذلك يتفاوت من مكان لآخر.
وأفادت دراسة جديدة بأن التغير المناخي أدى على مدار نصف القرن الماضي إلى تفاقم التفاوت بين دول العالم، إذ عرقل النمو في البلدان الأكثر فقرا، بينما أفضى على الأرجح إلى زيادة معدلات الرفاهية في بعضٍ من أكثر دول العالم ثراء.
وأشار باحثون في جامعة ستانفورد في ولاية كاليفورنيا الأمريكية في هذه الدراسة إلى أن نسبة الفجوة بين الدول الأشد فقرا وتلك الأكثر ثراء، تزيد الآن بنسبة 25 في المئة عما كانت ستصبح عليه، إذا لم تشهد الأرض ظاهرة الاحتباس الحراري وما تؤدي إليه من ارتفاع لدرجة حرارة الكوكب.
وتعد الدول الأفريقية الواقعة على خطوط العرض الاستوائية الأكثر تضررا؛ إذ أن نصيب الفرد من الناتج المحلي الإجمالي في دول مثل موريتانيا والنيجر، يقل بنسبة 40 في المئة مما كان يُفترض أن يصبح عليه، إذا لم تكن درجات الحرارة قد ارتفعت بمعدلاتها الحالية.
وتضرب الدراسة مثالا كذلك بالهند - التي يقول صندوق النقد الدولي إنها ستصبح صاحبة خامس أكبر اقتصاد في العالم خلال العام الجاري - إذ تشير إلى أن نصيب الفرد في هذا البلد من الناتج المحلي الإجمالي في عام 2010 كان أقل من معدلاته المفترضة بنسبة 31 في المئة، بسبب ارتفاع درجة حرارة الأرض. وتصل النسبة إلى 25 في المئة في البرازيل، صاحبة تاسع أكبر اقتصاد على مستوى العالم.
وأشارت الدراسة إلى أن الاحتباس الحراري يُسهم على الأرجح في زيادة نصيب الفرد من الناتج المحلي الإجمالي في الكثير من الدول الغنية، ومن بينها بعض من البلدان الأكثر تسببا في انبعاث ما يُعرف بالغازات الدفيئة المُسببة لهذه الظاهرة.
ومن بين معدي الدراسة، مارشال برك من قسم علوم نظام الأرض في جامعة ستانفورد، وقد قضى أعواما طويلة يحلل العلاقة بين درجات الحرارة والتقلبات الاقتصادية، التي شهدتها 165 دولة من دول العالم، في الفترة ما بين عامي 1961 و2010.
واستخدمت الدراسة أكثر من 20 نموذجا مناخيا لتحديد مقدار ارتفاع درجة الحرارة الذي شهدته كل دولة بسبب تغير المناخ. وقد خلصت إلى بلورة 20 ألف تصور لما كانت ستصبح عليه نسبة النمو السنوية في تلك الدول، إذا لم تكن قد شهدت ارتفاعا لدرجات الحرارة بمستوياتها الراهنة.
وأظهر برك أن النمو تسارع في الدول ذات الطقس البارد في السنوات التي كانت فيها درجات الحرارة أعلى من المتوسط، بينما انخفض في البلدان التي يسودها طقس حار.
ويقول إن البيانات المأخوذة على مدار فترات مختلفة من التاريخ تُظهر بوضوح أن الأراضي الزراعية تكون "أكثر إنتاجية، وأن الناس يصبحون أكثر صحة، وأن مستوى إنتاجيتنا يزيد بشكل عام في أماكن العمل"، عندما تتسم درجة الحرارة بالاعتدال في ارتفاعها أو انخفاضها، أي عندما لا تكون باردة بشدة أو حارة للغاية.
ويشير إلى أن الدول التي يسودها طقس بارد جنت "فوائد ارتفاع درجة الحرارة" على وجه الأرض. أما نظيراتها ذات الطقس الحار، فقد أُنزِلَت بها "عقوبة الاحترار"، بفعل ما أدى إليه ارتفاع درجات الحرارة، من جعلها بعيدة عن أن تنعم بدرجة الحرارة المثلى بالنسبة لها.
ويقول المعد الرئيسي للدراسة، نوا ديفينبو، إن هناك "عددا من المسارات التي تتأثر من خلالها الدعائم الرئيسية للنشاط الاقتصادي الكلي بمستوى درجة الحرارة".
ويضيف: "في الزراعة على سبيل المثال، ليس لدى الدول ذات الطقس البارد سوى موسم قصير للغاية في فصل الشتاء لنمو المزروعات. وعلى الجانب الآخر، لدينا أدلة قوية تفيد بأن غلة المحاصيل تراجعت على نحو حاد في ظل درجات الحرارة المرتفعة".
ويتابع: "هناك بالمثل دليل على أن مستوى إنتاجية العمال يتراجع في درجات الحرارة المرتفعة، وأن أداء المرء على صعيد القيام بالوظائف الإدراكية والمعرفية ينخفض في مثل هذا المناخ، الذي تزيد فيه أيضا معدلات الصراع والتناحر بين الناس".
ويقول الباحثون إنه في الوقت الذي تكتنف فيه بعض الشكوك مسألة استفادة الدول الأكثر ثراء وبرودة في درجات الحرارة من التغير المناخي وارتفاع درجة حرارة الأرض، فإنه ما من شك في التأثير الذي خلّفه ذلك على البلدان التي يسودها طقس أكثر دفئا.
ويضيف هؤلاء أن هذا التأثير سيكون أكبر بكثير، إذا ما وُضع عامل الاحتباس الحراري في الحسبان، منذ أن بدأت الثورة الصناعية في العالم.
ويقول هابي كامبول، خبير استشاري بارز لدى منظمة "غرين بيس أفريكا": "إن نتائج الدراسة تتماشى مع ما هو معروف منذ سنوات، من أن ظاهرة التغير المناخي تشكل عاملا يزيد التهديدات ويفاقم من مواطن الضعف القائمة بالفعل".
ويضيف أن ذلك يعني أن "الدول الأكثر فقرا وتعرضا للتهديدات في الوقت نفسه، تقف على الجبهة الأمامية في معركة تغير المناخ، وأن على الدول النامية التعامل مع التأثيرات الناجمة عن التغير المتطرف في المناخ، على حساب معدلات نموها".
ويشير كامبول إلى أن عجز دولة مثل موزمبيق عن التكيف عن متغيرات مناخية مثل هذه، بدا واضحا بعد إعصار كينيث الذي أدى لمقتل أكثر من 40 شخصا على أراضيها، منذ اجتاحها في 25 أبريل/نيسان الماضي.
وفي مارس/آذار، لقي أكثر من 900 شخص حتفهم في موزمبيق ومالاوي وزيمبابوي بسبب إعصار إيداي.
وبحسب كامبول، لم تسلم دولة مثل جنوب أفريقيا من تأثيرات مثل هذه، رغم استفادتها مما تمتلكه من بنية تحتية أكثر تطورا. فهذا البلد عانى الأمرين في مواجهة أزمة الجفاف وشح الأمطار التي شهدها عام 2018، وكذلك عندما ضربت فيضانات مؤخرا إحدى مناطقه.
ويشير كامبول إلى مفارقة تتمثل في أنه بالرغم من أن الدول الأفريقية لم تسهم سوى بالنذر اليسير في إحداث ظاهرة التغير المناخي، فإنها تواجه "تأثيرات عميقة ليس لديها سوى قدرة محدودة على التعامل معها".

Tuesday, April 23, 2019

التحقت ميسينغ بتنظيم الدولة الإسلامية عندما كانت تبلغ من العمر 15 عاما

نور ضحية لهذه المأساة. ترقد نور على فراش في عيادة الهلال الأحمر في المخيم. فقد أصيبت ذات السنوات الست بطلق ناري في وجهها. حصل ذلك قبل 15 يوما، ومنذ ذلك الحين لم تتلق من العناية الطبية الا النزر اليسير. خداها منتفخان وأسنانها مهشمة. ويبدو أنها تعودت على الألم، لأنها لا تصرخ إلا عندما يحاولون نقلها من مكان لآخر.
أصيبت نور بطلقة قناص استهدف خيمتها في الباغوز. كانت تختبئ هناك مع أسرتها التي كانت ضمن طائفة من المخلصين الذين قرروا البقاء مع تنظيم الدولة إلى النهاية.
في مخيم الهول، الكثير من جرحى الحرب هم من الأطفال. فأم نور، وهي من تركمنستان، مريضة إلى حد لا تتمكن فيه من الوقوف على رجليها. فهي تتأرجح من الجانب إلى الآخر قرب سرير نور. أما زوجها المقاتل في صفوف الدولة الإسلامية فقد لقي حتفه في الحرب.
تستدعي حالة نور تدخلا طبيا سريعا، ولذا تم تحويلها إلى مستشفى في مدينة الحسكة. وسرعان ما أخذ مكانها في السرير مصاب آخر.
نور ضحية لهذه المأساة. ترقد نور على فراش في عيادة الهلال الأحمر في المخيم. فقد أصيبت ذات السنوات الست بطلق ناري في وجهها. حصل ذلك قبل 15 يوما، ومنذ ذلك الحين لم تتلق من العناية الطبية الا النزر اليسير. خداها منتفخان وأسنانها مهشمة. ويبدو أنها تعودت على الألم، لأنها لا تصرخ إلا عندما يحاولون نقلها من مكان لآخر.
أصيبت نور بطلقة قناص استهدف خيمتها في الباغوز. كانت تختبئ هناك مع أسرتها التي كانت ضمن طائفة من المخلصين الذين قرروا البقاء مع تنظيم الدولة إلى النهاية.
في مخيم الهول، الكثير من جرحى الحرب هم من الأطفال. فأم نور، وهي من تركمنستان، مريضة إلى حد لا تتمكن فيه من الوقوف على رجليها. فهي تتأرجح من الجانب إلى الآخر قرب سرير نور. أما زوجها المقاتل في صفوف الدولة الإسلامية فقد لقي حتفه في الحرب.
تستدعي حالة نور تدخلا طبيا سريعا، ولذا تم تحويلها إلى مستشفى في مدينة الحسكة. وسرعان ما أخذ مكانها في السرير مصاب آخر.
ما زالت ليونورا تحب زوجها المتطرف، وتقول إنها ستنتظره اذا أعيد إلى ألمانيا وحكم عليه بالسجن.
وتطرقت في حديثها إلى وفاة إبن شميمة بيغوم الذي ولد في المخيم ومات بعد 20 يوما. أصيب طفلاها بأمراض، ولكنها تقول إنها تشعر بأنهما سيكونان بخير في نهاية المطاف.
لم يدم لقائنا الثاني طويلا، فقد كانت ليونورا ميسينغ مرتبطة بموعد مهم. وصل رتل من السيارات المدرعة يستقله غربيون يحميه مسلحون إلى المخيم. قالت ليونورا "تريد الحكومة الألمانية أن تتفقد أوضاع طفليّ".
قال وزير الخارجية البريطانية إنه من الخطورة بمكان أن يتوجه دبلوماسيون بريطانيون إلى سوريا، البلد الذي لا توجد فيه سفارة أو قنصليات (حالها حال ألمانيا). ولا توجد إلى الآن خطط لاعادة النسوة والأطفال البريطانيين الذين قتل العديد من أزواجهن أو جردوا من جنسياتهم البريطانية.
وبينما تزداد الغيوم الماطرة كثافة، توجهت نحونا شابتان بكل تصميم. رائحة المخيم تزكم الأنوف ولا يوجد صرف صحي والأمطار تزيد من الطين بلة. كانت واحدة منهما تحمل حقيبة غالية الثمن. ومن خلال النقاب الذي كانتا ترتديهما، تيقنت أنهما مجرد مراهقتين.
قالتا بنبرات تخلو من الغضب "أين أزواجنا؟ متى سيطلق سراحهم؟". وعندما هز زميلي أكتافه تعبيرا عن جهله بما كانتا تطالبان به، سألته واحدة منهما "أسأله" مشيرة إلي بكفها الذي كان مغطى بقفاز أسود، بينما سمعنا أصوات قهقهة من تحت الأردية السوداء التي كانتا ترتديانها.
قد تحصلان على اجابات لأسئلتهما في الأيام القادمة، إذ يستعد العراق لاستعادة مواطنيه. سينقل المعتقلون ذوو القيمة العالية أولا وسيواجهون الإعدام على الأرجح، وسيتبعهم أطفالهم ونسائهم. وتم إعداد مخيمات لذلك في العراق بالفعل، مخيمات لا تبعد كثيرا عن مخيم الهول ولكن على الجانب العراقي من الحدود.
قد يؤدي ذلك إلى رفع الضغط عن مخيم الهول، ولكنه لن يحل المعضلة التي يشكلها المخيم بالنسبة للدول الغربية، وهي معضلة تتلخص في السؤال: "كم من الرحمة ينبغي لك أن تبديها لعدو خال من الرحمة؟". وما سيكون مصير نساء المسلحين وأطفالهم بعد زوال الدولة الإسلامية؟

Wednesday, March 13, 2019

कंधार विमान अपहरण मामला

अजित डोभाल ने ख़ुद सात साल पाकिस्तान में बिताए हैं. हाँलाकि एक ज़माने में उनके बॉस रहे और आईबी और रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत कहते हैं कि डोभाल वहाँ भारतीय उच्चायोग में बाक़ायदा पोस्टिंग पर थे, अंडर कवर एजेंट के तौर पर नहीं.
लेकिन डोभाल ने विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के समारोह में भाषण देते हुए एक कहानी सुनाई थी, "लाहौर में औलिया की एक मज़ार है, जहाँ बहुत से लोग आते हैं. मैं एक मुस्लिम शख़्स के साथ रहता था. मैं वहाँ से गुज़र रहा था तो मैं भी उस मज़ार में चला गया. वहाँ कोने में एक शख़्स बैठा हुआ था जिसकी लंबी सफ़ेद दाढ़ी थी. उसने मुझसे छूटते ही सवाल किया कि क्या तुम हिंदू हो?"
डोभाल ने उन्हें बताया कि नहीं. डोभाल के मुताबिक़, "उसने कहा मेरे साथ आओ और फिर वो मुझे पीछे की तरफ़ एक छोटे से कमरे में ले गया. उसने दरवाज़ा बंद कर कहा, देखो तुम हिंदू हो. मैंने कहा आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो उसने कहा आपके कान छिदे हुए हैं. मैंने कहाँ, हाँ बचपन में मेरे कान छेदे गए थे लेकिन मैं बाद में कनवर्ट हो गया था. उसने कहा तुम बाद में भी कनवर्ट नहीं हुए थे. ख़ैर तुम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नहीँ तो यहाँ लोगों को शक हो जाएगा."
डोभाल आगे बताते हैं, "उसने मुझसे पूछा कि तुम्हें पता है मैंने तुम्हें कैसे पहचाना. मैंने कहा नहीं तो उसने कहा, क्योंकि मैं भी हिंदू हूँ. फिर उसने एक अलमारी खोली जिसमें शिव और दुर्गा की एक प्रतिमा रखी थी. उसने कहा देखो मैं इनकी पूजा करता हूँ लेकिन बाहर लोग मुझे एक मुस्लिम धार्मिक शख़्स के रूप में जानते हैं."
ये कहानी चूँकि ख़ुद डोभाल के मुँह से आ रही थी, इससे ये आभास मिलता है कि वो कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन एक अंडर कवर एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे.
डोभाल के बारे में ये भी कहा जाता है कि 90 के दशक में उन्होंने कश्मीर के ख़तरनाक अलगाववादी कूका पारे का ब्रेनवाश कर उसे काउंटर इंसर्जेंट बनने के लिए मनाया था.
1999 के कंधार विमान अपहरण को दौरान तालिबान से बातचीत करने वाले भारतीय दल में अजीत डोभाल भी शामिल थे.
रॉ के पूर्व चीफ़ दुलत कहते हैं, "उस दौरान कंधार से डोभाल मुझसे निरंतर टच में थे. ये उनका ही बूता था कि उन्होंने हाइजैकर्स को यात्रियों को छोड़ने के लिए राज़ी किया. शुरू में उनकी मांग भारतीय जेलों में बंद 100 चरमपंथियों को छोड़ने की थी लेकिन अंतत: सिर्फ़ तीन चरमपंथी ही छोड़े गए."
डोभाल के एक और साथी सीआईएसएफ़ के पूर्व महानिदेशक केएम सिंह कहते हैं, "इंटेलिजेंस ब्यूरो में मेरे ख़याल से ऑपरेशन के मामले में अजित डोभाल से अच्छा अफ़सर कोई नहीं हुआ है."
"1972 में वो आईबी में काम करने दिल्ली आए थे. दो साल बाद ही वो मिज़ोरम चले गए, जहाँ वो पाँच साल रहे और इन पाँच सालों में मिज़ोरम में जो भी राजनीतिक परिवर्तन हुए, उसका श्रेय अजित डोभाल को दिया जा सकता है."

Monday, February 18, 2019

فريق كرة قدم إيطالي يتلقى هزيمة قياسية بعشرين هدفا

إذا كنت تعتقد أن فريقك قد مني بأشد هزيمة، فهناك فريق آخر، تلقى هزيمة ربما تعد الأسوأ على الإطلاق، وهو فريق برو بياتشينزا الإيطالي لكرة القدم.
وتلقى الفريق، الذي كان يلعب ضمن المجموعة الأولى، في دوري الدرجة الثالثة الإيطالي، هزيمة ساحقة بنتيجة 20 هدفا دون مقابل، في مباراته مع فريق كونيو، ظهر الأحد.
وخلال الشوط الأول من المباراة، تلقت شباك الفريق 16 هدفا، سجل منها هشام كانيس لاعب كونيو 6 أهداف، وزميله المهاجم إدواردو ديفيندي 5 أهداف.
وكانت هناك عدة عوامل في دفاع فريق برو بياتشينزا، سهلت تلك الهزيمة.
ويواجه الفريق، الذي يحتل المركز الأخير ضمن ترتيب دوري الدرجة الثالثة، مشاكل مالية خطيرة. وفقد الفريق 8 نقاط، خلال مرحلة مبكرة من دوري هذا الموسم، وتفيد تقارير بأنه عجز عن دفع رواتب لاعبيه، منذ أغسطس/ آب الماضي، ما أدى إلى استقالة أغلبية لاعبيه الأساسيين.
ولم يستطع الفريق أن يلعب المباريات الثلاثة السابقة على مباراة الأحد، ومن المرجح أن يؤدي تغيب الفريق عن مباراته القادمة، في مدينة كونيو، إلى هبوطه من دوري الدرجة الثالثة، إلى دوري الدرجة الرابعة.
ولسوء حظه، بدأ الفريق المباراة بـ7 لاعبين فقط، من بينهم 6 لاعبين تحت سن 20 عاما.
ونظرا لعدم وجود طاقم تدريب، فقد تولى قائد الفريق اللاعب نيكولا سيريغليانو، البالغ من العمر 18 عاما، مهمة مدرب الفريق.
وأنهى الفريق المباراة بـ 8 لاعبين، بعد أن تمكن لاعب آخر من الفريق من العثور على أوراق هويته، بعد بداية المباراة.
وكان فريق كونيو قد سجل 18 هدفا، خلال 24 مباراة لعبها في هذا الموسم، وذلك قبل مباراة الأحد، لكنه استطاع أن يضاعف حصيلته من الأهداف، خلال 90 دقيقة استثنائية.
وفي ظل المشكلات المالية الحادة، التي تواجه نادي برو بياتشينزا، فإنه من المقرر أن يعقد الاتحاد الإيطالي لكرة القدم جلسة، للبت في مصير النادي، يوم 11 من مارس/ آذار المقبل.
وصف غابرييل غرافينا، رئيس الاتحاد الإيطالي لكرة القدم، نتيجة المباراة بأنها "إهانة للرياضة".
وقال: "في هذا الوضع الغريب، فإن اتحاد كرة القدم عليه واجب تنفيذ القواعد".
وأضاف: "مسؤوليتنا هي حماية شغف الجماهير، ومصداقية البطولات. ما شهدناه سيكون آخر المهازل".
يتدافع آلاف اليابانيين شبه عراة من أجل الحصول على خشيبات مقدسة يعتقدون أنها تجلب الحظ في مهرجان بوذي قديم.
ويعتقد أن ما يربو عن 10 آلاف رجل يرتدون إزارا خفيفا شاركوا في الطقوس بمعبد كينريوزان سايدايجي البوذي.
ويتطهر المشاركون في بالماء ثم يشرعون في التدافع من أجل الحصول على الخشيبات التي ترمى بينهم.
ويوصف كل من يجد الخشيبات التي يُطلق عليها أقلام شينجي، التي يبلغ طولها 20 سنتيمترا، بأنه الأكثر حظا خلال العام.
وهذه هي الذكرى 510 للمهرجان الذي يعود انطلاقه إلى عصر موروماشي في تاريخ اليابان القديم.
وتبدأ الطقوس بآلاف الرجال يغطسون في مياه نهر يوشي الباردة للتطهر ثم يستعدون للبحث عن خشيبات شينجي.
وبعدما تنتهي عملية التطهير تنطفئ الأضواء في الساعة العاشرة ليلا ويطل كاهن المعبد من النافذة ويلقي على الجموع خشيبتي شينجي. ثم بدأ التدافع بين الرجال شبه العراة وأمل كل واحد منهم الحصول على الخشيبة المقدسة.
ويتوج الفائزان اللذان يحصلان على الخشيبتين بلقب الأكثر حظا.
ويعد البحث عن خشيبتي الحظ أكثر طقوس المهرجان أهمية.
وفضلا عن الحظ الذي تجلبه طقوس المهرجان، يعتقد أنها تمنح البلاد الخصوبة طوال العام.
ويقصد المعبد آلاف آخرون من أجل متابعة التدافع وإشعال الأضواء